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मेरे सहयात्री || विषय हिन्दी

मेरे सहयात्री || विषय हिन्दी

यहाँ मूल पाठ के प्रमुख विवरण को अधिक सरल भाषा में सारांशित किया गया है:

अमृतलाल बेगड़ एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक, कवि और चित्रकार थे। वे नर्मदा नदी से गहरी लगाव रखते थे और इसके बारे में व्यापक लिखे हैं। 1980 में, जब वे 75 वर्ष के थे, उन्होंने नर्मदा नदी की पूरी लंबाई की तीर्थयात्रा करने का निश्चय किया। एक वृद्ध व्यक्ति से मिलकर जिन्होंने यह कठिन यात्रा अकेले की थी, वे प्रेरित हुए।

बेगड़ जी ने 2002 में 75 वर्ष की उम्र में अपनी पहली नर्मदा परिक्रमा पूरी की। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने बरगी और इंदिरा सागर जैसे बांधों के कारण नदी में हुए कई बदलावों को देखा। नदी के प्राकृतिक प्रवाह में हुए विघटन से वे दुखी थे।

अपने लेखन में, बेगड़ जी ने नर्मदा की सुंदरता, पवित्रता और इस क्षेत्र के लिए इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने नदी को एक जीवंत, श्वासोच्छवासी अस्तित्व और संस्कृति के रूप में देखा। उन्होंने पीड़ा व्यक्त की कि मानव ने इसकी प्राकृतिक स्थिति को नष्ट कर दिया है।

बेगड़ जी ने लोगों के समूहों के साथ कई नर्मदा यात्राएं की। वे इस महत्वपूर्ण नदी के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाना चाहते थे। उनके लेखन और कला ने नर्मदा और भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म में इसके महत्व को अमर कर दिया।

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